काव्य

       18-03-2022

अपनी माटी-अपना पूर्वांचल

गोरक्षनाथ की पावन धरती ऋषि मुनियों की शान रही है । देवरहा बाबा की कर्मस्थली पूर्वांचल की पहचान रही है ।।

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       18-03-2022

होली आई विहसा अंबर

प्रकृति हुई सुहानी । सात रंग से भीगी धरती ओढ़ी चूनर धानी ।। बसंती बयार बह रही

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       15-03-2022

मुकम्मल

यह जग को मंजूर नहीं है ‌। सुख समृद्धि यश मिले सभी को दुनिया का दस्तूर नहीं है ।।

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       10-03-2022

मेरी माँ

अमिट प्रेम की पीयूष निर्झर क्षमा दया की सरिता हो । गीत ग़ज़ल चौपाई तुम हो...

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       10-03-2022

नारी शक्ति

अबला से सबला बनकर इतिहास नया रच डाला । छूकर नित नई बुलंदी को...

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